अपने जैसा बना दिया......
कुछ कहूं तुम्हें लाजमी नहीं फिर भी कहता हूं-
के मोहब्बत की गलियों में गैरों के साथ फिरते देखा है!
दिन बीतते गए तुम्हे अपनी ही नजरों से गिरते देखा है!
ये सीखा है मैंने, बदलती है मोहब्बत घाव गहरा देती है!
हर काली रात के बाद...
के मोहब्बत की गलियों में गैरों के साथ फिरते देखा है!
दिन बीतते गए तुम्हे अपनी ही नजरों से गिरते देखा है!
ये सीखा है मैंने, बदलती है मोहब्बत घाव गहरा देती है!
हर काली रात के बाद...