#मोहब्बत
श्वेत चाँदनी में ढली हुस्न की इक मूरत हो जाए,
नाज़ुक,महकती गुलाब सी ख़ूबसूरत हो जाए।
बसंती पुरवा तो कभी बिज़ली सी नज़र आए,
सिर्फ़ काँटे नहीं,कभी पंखुडी...
नाज़ुक,महकती गुलाब सी ख़ूबसूरत हो जाए।
बसंती पुरवा तो कभी बिज़ली सी नज़र आए,
सिर्फ़ काँटे नहीं,कभी पंखुडी...