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#मोहब्बत
श्वेत चाँदनी में ढली हुस्न की इक मूरत हो जाए,
नाज़ुक,महकती गुलाब सी ख़ूबसूरत हो जाए।

बसंती पुरवा तो कभी बिज़ली सी नज़र आए,
सिर्फ़ काँटे नहीं,कभी पंखुडी से भी ज़ख्म दे जाए।

लरजते अधर बन जाएँ प्रेम में डूबी मीठी कविता,
नम आँखें दर्द भरी गज़ल और नज़्म गुनगुनाए।

छू ले बारिश का पानी,तो मादक शराब हो जाए,
वो है "मोहब्बत",जो गुलाब सी ख़ूबसूरत कहलाए।।
~Monika Agrawal ✒

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