...

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तुम हो जाओ ना थोड़ी स्वार्थी
तुम हो जाओ ना थोड़ी स्वार्थी ,
कर लो ना तुम थोड़ा अपने मन की !!!!
हर रोज तो जीती हो तुम सबके लिए ,
इस बार जी लो ना थोड़ा खुद के लिए ,
क्यूँ खुद को तुम गुनेहगार मानती हो ,
अपनी खुशियों के लिए जीने को तुम कसूरवार मानती हो ,
तुम हो जाओ ना थोड़ी स्वार्थी ,
कर लो ना तुम थोड़ा अपने मन की !!!!

क्यूँ खुद को यूँ बेहिसाब थकाती हो ,
हर पल समय के साथ दौड़ लगाती हो ,
जितना हो सके उतना ही रहने दो ना ,
जो ना हो सके उसके लिए मना कर दो ना ,
सबकी खुशियों का ख्याल रखती हो ,
अपनी खुशियों को हर बार...