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मोहब्बत..✍🏼
तूने मोहब्बत, मोहब्बत से ज्यादा की थी,
मैंने मोहब्बत तुझसे भी ज्यादा की थी,
अब किसे कहोगे मोहब्बत की इन्तेहाँ,
हमने शुरुआत ही इन्तेहाँ से ज्यादा की थी।
.
.
.
वो आज खूने-दिल से मेंहदी लगाये बैठे हैं,
सारे किस्से मेरे दिल से लगाये बैठे हैं,
ख़ामोशी में भी एक शोर है उनकी,
सुर्ख जोड़े में खुद को बेवा बनाये बैठे हैं।
© अल्फाज़.शायरी...✍
मैंने मोहब्बत तुझसे भी ज्यादा की थी,
अब किसे कहोगे मोहब्बत की इन्तेहाँ,
हमने शुरुआत ही इन्तेहाँ से ज्यादा की थी।
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वो आज खूने-दिल से मेंहदी लगाये बैठे हैं,
सारे किस्से मेरे दिल से लगाये बैठे हैं,
ख़ामोशी में भी एक शोर है उनकी,
सुर्ख जोड़े में खुद को बेवा बनाये बैठे हैं।
© अल्फाज़.शायरी...✍
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