...

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"आओ  मैं  हूं  तैयार...."
“आओ  मैं  हूं  तैयार...”

मुक़ाबला ! मेरा तुम्हारा हो ही नहीं सकता,
ना ना, ये समझने की भूल कतई ना करना,
कि मै डर गई- नहीं बल्कि तुम समकक्ष ही कहां हो मेरे,

तुम कमज़ोर हो या यों कहूं - पहले मेरे बराबर तो होलो तुम…
बहन बेटी प्रेमिका मां… अरे कहां - ये तुम्हारे बस का नहीं,
छोड़ो ये सब… एक स्त्री ही होलो बस इतना ही बहुत है,

अब तुम जीवन जी के दिखलाओ ज़रा...
इन घुरती आंखो के बीच आ जा सकोगे तुम,
कक्षा के पुरुष सहपाठियों की घूरती आंखों का मुकाबला कर सकोगे तुम,

चलो माना - ऐ भी कर लोगो, थोड़ी बहुत छींटाकशी सहलोगे तुम,
पर क्या घर में अपने भी...