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ये दिल का तोड़ना
दिल तोड़ना भी तो एक हुनर होता है
पहले किसी के क़रीब जाओ
फिर उसे अपना बनाओ
उसके ख़यालों में दस्तक देकर
उसके ही ख्वाबो में छुप जाओ ।

जब वो तुम पर यकीं कर बैठे
तुम्हारी हर बात पर मुस्कुरा दे ।
तुम्हें बिन कहे अपना सब कुछ मान ले

तुम्हारे आने के इन्तेज़ार में वो हर पल गिने ।
जाने के बाद फिर,तेरे आने का ही इन्तेज़ार करे ।
नाजुक सा दिल उसका तेरी आहट से धड़क उठे।
बस वही पल है , ये हुनर दिखाने का
उसके करीब जाकर, उसे बताने का
कि कितना आसां था , तुम्हारे जज़्बातों से खेलना ।
तुम हो क्या , देखा भी है कभी तुमने आईना
तुम हो कौन ,जिसे मैं कभी कहूँ अपना

चले जाना उस पल में, वो मुस्कुराते हुए ,
है ना कितना आसां, दिल ये तोड़ना ।।
अजी,हर किसी मे कहां, ये हुनर होता है
जिसके पास होता है, उसे दिल ही कहा होता है।।


© Rooh