...

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जब भी लिखने बैठूँ में
जब भी लिखने बैठूँ में,

उड़ने लगती है लहर,
अनकहे जज़्बातों की,

चलने लगती है आंधी,
अनगिनत खा़यलो की,

बेहतरीन नज़्म निखर आती है,
खा़यलो में उमड़े जज़्बातों की...



© Hiren Brahmbhatt -- Hirswa