वो जो तुमपे हाथ उठाया था
अफसोस मुझे आज भी उस बात का जो,
तुमपर बस एक बार हाथ उठाया था,
कोसता हूँ खुद को आज सालों बाद भी,
दिल छोड़ आखिर क्यों दिमाग चलाया था।
छोटी सी ही बात तो थी तुमने जिसपर,
पूरा पहाड़ सर पर उठाया था,
भूल जो नकारी जा सकती थी उसको,
पूरी दुनिया को बताया था।
सवार था जाने कौन सा गुस्सा सर पर,
टूट गया वो सब जो तेरे हाथ में आया था।
शब्दों की मर्यादा तो छोड़ो घर में,
कैसे चीखने चिल्लाने का माहौल बनाया था।
नहीं मांगनी पड़ी कोई भी चीज...