...

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#रुख हवा का
रुख हवा का मोड़ा तो तूफ़ान कितने आ गए
दगाबाज़ों को जताने एहसान कितने आ गए ।

हमने भी सीख लिया पहचानना जब चेहरों को
चेहरों पर शिकन के बादल कितने छा गए ।

गुफ़्तगू उनसे क्या करें जिनका वज़ूद ही एक ढोंग है
गुफ़्तगू के लिए मुखोटे पर मुखोटा चढ़ाकर आ गए ।

अपने वज़ूद के साथ जीने से ज़्यादा कुछ नहीं
वज़ूद पर हमारे लोग तोहमत लगाने आ गए ।
© Geeta Yadvendu