***** स्त्री ******
हे
स्त्री तुम ,
वाकई अद्भुत हो,
माँ ,बहन ,बेटी ,पत्नी,
हर रिश्ते को शिद्दत से जिया,
तेरी शक्ति की क्या तुलना करे कोई,
तूने तो परचम अंतरिक्ष तक फहरा दिया,
कल अबला थी तब भी कहाँ हार मानी तूने,
आज हर क्षेत्र में अपनी क्षमता का लोहा मनवाया
तूने ,माता बन संतान की ख़ातिर ,ईश्वर से लड़ जाती है,...
स्त्री तुम ,
वाकई अद्भुत हो,
माँ ,बहन ,बेटी ,पत्नी,
हर रिश्ते को शिद्दत से जिया,
तेरी शक्ति की क्या तुलना करे कोई,
तूने तो परचम अंतरिक्ष तक फहरा दिया,
कल अबला थी तब भी कहाँ हार मानी तूने,
आज हर क्षेत्र में अपनी क्षमता का लोहा मनवाया
तूने ,माता बन संतान की ख़ातिर ,ईश्वर से लड़ जाती है,...