बचा कुछ नही।
मेरे वीरान मन में अब किसी के लिए कुछ नहीं
जो था वो था अब बचा खुचा भी कुछ नही
एक हसरत सी थी मेरी उस पेड़ की छाव में बैठू
पेड़ मुरझा सा गया वहा बचा अब...
जो था वो था अब बचा खुचा भी कुछ नही
एक हसरत सी थी मेरी उस पेड़ की छाव में बैठू
पेड़ मुरझा सा गया वहा बचा अब...