...

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बेटियाँ
बहेको मत ना बेटियों,
कुल को समझो खास।
पैंतीस टुकड़ों में कटा,
श्रद्धा का विश्वास।।
वासना के भूखे खूंखार दरिंदे
हर गली हर नुक्कड़ पर
बेटियों की ताक में
छुपे बैठे रहते हैं
मुझे हैरानियत है जानवर बने इंसानों पर
उन ब्लात्कारियों पर
जो बेटियो के जिस्म को अलग कर देते हैं बेटियों से


नभ मंडल में छिटके तारे,
टिम टिम करते थे उजियारे।
देख भास्कर को प्राची में
चुपके भाग गए बेचारे।।
✍️😔
© Dr.chhavi sharma