...

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कौन तुम्हें समझाए
इश्क़ में तेरे आह भरू मैं
बिन तेरे अब रहा ना जाए
पागल हो गया इश्क़ में मै तो
अब कौन तुम्हे समझाए।।

बोलें आंखे सबकुछ तुझसे
होंठ देख तुझे सिल जाए
आंखो की ये प्रेम की भाषा
अब कौन तुम्हे समझाए।।

रात ढले जब आंख लगे
सपने में भी तू मिल जाए
तेरे होने का मेरा ये सपना
अब कौन तुम्हे समझाए।।