कुछ बातें……
हुई बडी भूल जो चाबी गया भूल,
क्या दिमाग पें पड़ गई दूल....
अब ताला कैसे मैं खोलोगा,
बता अब किस्को क्या मैं बोलोगा ....
मेरी अक़्ल सिआनप काम ना मेरे आई,
अब किसे से मदाद माँगूँ मैं मेरे भाई....
पैदल आया था पैदल ही जाना है,
जो रस्ते से आया था उसी रास्त से ही जाना है ....
काम करता हू मगर पैसों से...
क्या दिमाग पें पड़ गई दूल....
अब ताला कैसे मैं खोलोगा,
बता अब किस्को क्या मैं बोलोगा ....
मेरी अक़्ल सिआनप काम ना मेरे आई,
अब किसे से मदाद माँगूँ मैं मेरे भाई....
पैदल आया था पैदल ही जाना है,
जो रस्ते से आया था उसी रास्त से ही जाना है ....
काम करता हू मगर पैसों से...