...

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कुछ बातें……
हुई बडी भूल जो चाबी गया भूल,
क्या दिमाग पें पड़ गई दूल....
अब ताला कैसे मैं खोलोगा,
बता अब किस्को क्या मैं बोलोगा ....

मेरी अक़्ल सिआनप काम ना मेरे आई,
अब किसे से मदाद माँगूँ मैं मेरे भाई....
पैदल आया था पैदल ही जाना है,
जो रस्ते से आया था उसी रास्त से ही जाना है ....

काम करता हू मगर पैसों से जेब ख़ाली है,
घर में नौकर चकर है मगर! मेरे से अच्छा हमारा माली है .....
कमाता हूँ मैं खाने के लिए खाने से पेट खाली है,
ना चहते हुए वी क्यू निकलती मेरे मुह से गाली है .....

नसीबो की तो बात ना कर नसीब की ही कहानी है .....
जो बात चली थी सूरू में वो पुरी मेरी कहानी है .....
सुभा से "जिंद" जब चलता है रुकता नहीं आँख का पानी है .....
रो पडता हूँ फूट फूट कर देख के फोटो जिस्मे मेरे सारे दोस्त हानी है .....


जलते_ अक्षर
© ਜਲਦੇ_ਅੱਖਰ✍🏻