...

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पल भर तुमसे ना मिलूं
बेचैन सा हो उठता हूं जो पल
भर तुमसे ना मिलू,

मन ही मन में घुटता हूँ,
जो पल भर तुमसे न मिलू,

ये नदिया, ये पर्वत, बे अर्थ से लगने लगते है,
ये दुनिया, ये लोग, मुझे क्यूँ व्यर्थ से लगने लगते है,

कभी शून्य मैं हो जाता हूँ,
नभ को एक टक तकता हूँ,
दिल के हाल बयाँ करने को,
कुछ भी बक बक...