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शिक्षक की व्यथा।।
मैं एक शिक्षक हूं आपको थोड़ा समय
मिले तो मेरा हाल भी पूछ लेना।
यदि पूरी दुनिया के बारे में सोच चुके हो
तो थोड़ा मेरे बारे में भी सोच लेना।
यदि में तीस साल नौकरी करने के
बाद भी मिट्टी ढो रहा हूं ,
तो सोचो इसका कारण क्या है?
मैं कम वेतन में अपने बच्चों की ख्वाहिशों
को आंसुओ से धो रहा हूं,
तो सोचो इसका कारण क्या है?
बच्चों की आंखे खराब हो रही है ऑनलाइन पढ़ने से बिल्कुल सही कहा,
मेरे पास भी दो ही आंखें हैं मैं कहना चाहता था पर सबके सामने चुप रहा।
उन्हें दिनभर सोफे में बैठने से शारीरिक कष्ट हो रहा है मैंने पेपर में पढ़ा था।
जब शिक्षक को इन बातों का ज़िम्मेदार बताया जा रहा था मैं वहीं खड़ा था।
मैं शिक्षक हूं इसलिए पढ़ाता हूं बच्चों को पर ये दुनिया यूं ही मुझे पढ़ाती रहती है।
मैं हर बार हर कहीं गलत ही होता हूं ये बेझिझक, बेधड़क कहती रहती है।
मैं शिक्षक हूं इसलिए कॉपी जांच कर मैं अक्सर कुछ लाल गोले बना देता हूं।
पर कोई मेरी जांची हुई कॉपी में फिर से गोले ना बना दे ये सोच डरता रहता हूं।
अब मैं कोई भविष्य निर्माता नहीं हूं ये बात रह रह कर मुझे रुलाती है।
मैं अक्सर परेशान रहता हूं क्योंकि बात बात पर मेरी तनख्वाह कट जाती है।
मैं मालिकों की ऑडी के सामने अपनी पुरानी स्कूटी को किक मारता हूं।
अपनी कक्षा में जीतने का ज्ञान बांट कर मैं अपनी ही तकदीर से रोज़ हारता हूं।
बच्चे अब मेरा सम्मान नहीं करते पर हां इंस्टाग्राम पर मीम्स ज़रूर बनाते हैं।
मैं सिर्फ एक तनख्वाह पाने वाला कामगार
हूं शायद ये सोच ऑनलाइन सताते हैं।
अब बताओ मेरी व्यथा इस समय मैं किस किस को कैसे और कब तक बताऊं?
जो पहले ही थोड़ी थी अब उसकी भी आधी तनख्वाह में अपना चूल्हा कैसे जलाऊं?
by Santoshi
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