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तू मेरी
राहत मिलती है तुझसे मिलकर
मशरूफ तेरी आवाज़ सुनकर,
ये बंजारा सा मन को भी बसेरा मिलता है तुझे सुनकर
कहने को तो चले जाऊं खुद से दूर मगर
तू मेरी हर काम का फल लगता है
ये मर्ज हर दर्द की दवा आवाज़ में
ये दर्द का मरहम तेरी बात में
कुछ छोडु भी तो क्या लिखूं
तु मेरी हर ख्याल का
स्त्रोत तेरी आवाज़ में
तेरा कहना “तु मेरा” लगता जेसे कबूल किया है मेरी हर दुआ को
© anonymous writer
मशरूफ तेरी आवाज़ सुनकर,
ये बंजारा सा मन को भी बसेरा मिलता है तुझे सुनकर
कहने को तो चले जाऊं खुद से दूर मगर
तू मेरी हर काम का फल लगता है
ये मर्ज हर दर्द की दवा आवाज़ में
ये दर्द का मरहम तेरी बात में
कुछ छोडु भी तो क्या लिखूं
तु मेरी हर ख्याल का
स्त्रोत तेरी आवाज़ में
तेरा कहना “तु मेरा” लगता जेसे कबूल किया है मेरी हर दुआ को
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