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तेरे - मेरे दरमियाँ ....
सुन, तेरे - मेरे दरमियाँ अब कुछ कहा बाकी है,
बस एक खामोशियों का शोर,यही तो काफी है !!
न जान पाई ख़ता अपनी न तेरी ख़्वाहिश मैं सनम,
फ़क़त ये अधूरा इश्क़ ही अब ताउम्र का साथी हैं !!
हाँ, बस एक तेरी ही ख़ुशी के खातिर मुझे सनम,
फ़िर से एक बार अजनबी बनना भी मुझे राज़ी है!!
धीरे-धीरे जो कुछ भी था अब समेट ही रही हूँ मैं,
अब भी कह दे अगर खेलनी बाकी कोई बाज़ी है !!
जबरदस्ती न जताऊँगी हक़ अब जब न कुछ बाकी है,
जा आज़ाद किया,टूटे रिश्ते से भी, यही तेरी माफ़ी है !!
© Mayuri Shah
@Mayuri1609
बस एक खामोशियों का शोर,यही तो काफी है !!
न जान पाई ख़ता अपनी न तेरी ख़्वाहिश मैं सनम,
फ़क़त ये अधूरा इश्क़ ही अब ताउम्र का साथी हैं !!
हाँ, बस एक तेरी ही ख़ुशी के खातिर मुझे सनम,
फ़िर से एक बार अजनबी बनना भी मुझे राज़ी है!!
धीरे-धीरे जो कुछ भी था अब समेट ही रही हूँ मैं,
अब भी कह दे अगर खेलनी बाकी कोई बाज़ी है !!
जबरदस्ती न जताऊँगी हक़ अब जब न कुछ बाकी है,
जा आज़ाद किया,टूटे रिश्ते से भी, यही तेरी माफ़ी है !!
© Mayuri Shah
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