वट वृक्ष
हे वृक्ष राज, तुमसे करनी हैँ
अपने मन की ढेरों बातें
सदियों से खड़े हो इस भू पे
देखें होंगे सारे रिश्ते नाते |
मेरे पापा के परदादा ने रोपा तुमको
ये मेरी दादी बतलाती हैँ
झूला झूलते थे शाखाओं को पकड़
बुआ को अब भी तुम्हारी याद सताती हैँ |
तुम्हारी नज़रों से गुजरी हैँ
मेरे गांव की हर एक बातें
छाँव में...
अपने मन की ढेरों बातें
सदियों से खड़े हो इस भू पे
देखें होंगे सारे रिश्ते नाते |
मेरे पापा के परदादा ने रोपा तुमको
ये मेरी दादी बतलाती हैँ
झूला झूलते थे शाखाओं को पकड़
बुआ को अब भी तुम्हारी याद सताती हैँ |
तुम्हारी नज़रों से गुजरी हैँ
मेरे गांव की हर एक बातें
छाँव में...