...

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रोना कमज़ोरी है ?
ठहर ठहर कर रोती हू
गम दिल मे लिए
दिमाग के सारे शोर सुनती हूँ

खामोशी आवाज है मेरी
लोगो को ये बताते-बताते नहीं थकती हूं

कोई क्यों मेरी आवाज को तरसे।
वैसे भी तो सिर्फ रोते रहती हूँ।
मै खुद अंजान हू खुदसे
ये मेरी उंगलिया आंसू पीकर लिखती कैसे है। कभी कहानी लिखती है,
कभी कविता लिखती है।
कभी पूरी करती,
और कभी अधूरा लिखकर आँसू बचाती है। मेरी आवाज़ कभी इन्हें हस्कर पढ़ती है, कभी खूब रोती है।

© ---AFNAN SIDDIQUE .