आज़माकर न देख....
यूँ आज़माकर न देख तू मेरे हर अहसास को
तकलीफ़ बयाँ करना इतना आसाँ नहीं होता
हैरान हूँ, परेशान हूँ तेरे इस तरह पेश आने से
जाने टूटते दिल का कोई शोर क्यों नहीं होता
कदम -कदम पर कहो कैसी ये है मज़बूरी, हाँ
मानते हैं हम इश्क़ का सफ़र सीधा नहीं होता
कसूर भी बता दिया कर, बहाने मत बना ऐसे
बेगुनाह को सज़ा देना कभी ठीक नहीं होता
आज़माने से सब गलत ही लगता है ज़माने में
ख़ामोशी का मतलब सदा हाँ-ना ही नहीं होता
© संवेदना🌼
#कुछ_नया_कुछ_पुराना
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