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गुरु का महत्व
स्कूल विद्या का मंदिर होता है,
एक छोटा सा बच्चा स्कूल जाता रोता है,
लेकिन उसको स्कूल जाना ही होता है,
गुरु ही विद्या का ज्ञान देते हैं,
इसलिए गुरुओं का स्थान ऊंचा होता है,
बच्चे गुरुओं से सम्मान करना सीखते हैं,
बच्चों को सुधारने के लिए गुरु डंडे से पीटते हैं,
यही पिटाई बच्चों को सफल बनाती है,
यही पिटाई बच्चों को जीना भी सिखाती है,
जिस प्रकार कुम्हार आपके द्वारा अपने,
घड़े का आकार बनाता है उसी प्रकार,
गुरु भी अपने शिष्य के भविष्य,
को सुनहरा आकार देता है।
© suman
एक छोटा सा बच्चा स्कूल जाता रोता है,
लेकिन उसको स्कूल जाना ही होता है,
गुरु ही विद्या का ज्ञान देते हैं,
इसलिए गुरुओं का स्थान ऊंचा होता है,
बच्चे गुरुओं से सम्मान करना सीखते हैं,
बच्चों को सुधारने के लिए गुरु डंडे से पीटते हैं,
यही पिटाई बच्चों को सफल बनाती है,
यही पिटाई बच्चों को जीना भी सिखाती है,
जिस प्रकार कुम्हार आपके द्वारा अपने,
घड़े का आकार बनाता है उसी प्रकार,
गुरु भी अपने शिष्य के भविष्य,
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