एक तकिया बीच में सोता रहा दीवार सा...
रात भर जलता रहा बिस्तर मेरा अंगार सा
प्यार होकर भी नहीं था वो जरा भी प्यार सा
रूह से इक रूह का नाता न कोई बन सका
दर्द बन चुभता रहा है एक रिश्ता खार सा
धौंकनी...
प्यार होकर भी नहीं था वो जरा भी प्यार सा
रूह से इक रूह का नाता न कोई बन सका
दर्द बन चुभता रहा है एक रिश्ता खार सा
धौंकनी...