...

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मेरी आहट
हवाओं ने भी अपना रुख बदल दिया ,
फिज़ा ने साथ चलने का मौका क्या दिया जिस रास्ते चली हूं ना कोई दूर दूर तक है,
शायद कुछ दूर अकेले और चलना है ।
खो चुकी हूं अपने में या कही और खोना बाकी है ,
किसी अंधेरे में गुम हूं , या कौन सा अंधेरा मुझे तलाश कर रहा ,
कब रौशनी में मैं इस अंधेरे से निकलूंगी
और कहां मिलेगी मुझे वह रौशनी जिसकी तलाश में...