...

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ज़िंदगी
212-212-212-212
ज़िंदगी माना नख़रे तेरे कम नहीं
तुझसे थोड़े से भी कम मगर हम नहीं

तू सताएगी क्या ? इतनी कुव्वत कहाॅं ?
तेरी दुश्वारियों में ...