...

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बिखर गए तो क्या, हारे नहीं है
#बिखर
निखर जाएगा समझौता कर ले,
बिखर जायेगा ना हठ कर बे;
शीशा कहा टिकता गिर कर रे,
गुरुर का साथ छोड़ दे;
टूट जाते हैं अक्सर लोग यहां,
जो झुकना नहीं सिख पाए;
गुरुर को अभिमान का नाम देकर,
खेल खेलता है वक्त,
अपने हिसाब से,
कुछ सबर जाते है,
कुछ बिखर जाते हैं,
जो हालात से लड़ जाते हैं,
वो निखर जाते हैं।
© Dr. Jyoti Prakash Rath

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