मैं क्या कहूँ
क्या मैं कहूँ इस सागर से,कि मेरे लिए कौन हो तुम
निराशा के घने जंगल में, दिल में जलता दीपक हो तुम
जिस तिनके के अनुमान हर परेशानी को पार करके….
हर बार किनारे तक पहुँच जाता हूँ मैं, मेरे लिए वो नैया हो तुम
हर परेशानी से मैं निकलता हूँ खिवैया हो तुम
ज़िंदगी की इस भागदौड़ में नसीब से मिलने वाली राहत हो तुम
कमजोरियों के दौर में, मेरे लिए नौकरी की ताकत हो
। चेहरे को देखकर मैं सब कुछ...
निराशा के घने जंगल में, दिल में जलता दीपक हो तुम
जिस तिनके के अनुमान हर परेशानी को पार करके….
हर बार किनारे तक पहुँच जाता हूँ मैं, मेरे लिए वो नैया हो तुम
हर परेशानी से मैं निकलता हूँ खिवैया हो तुम
ज़िंदगी की इस भागदौड़ में नसीब से मिलने वाली राहत हो तुम
कमजोरियों के दौर में, मेरे लिए नौकरी की ताकत हो
। चेहरे को देखकर मैं सब कुछ...