...

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स्त्री और प्रेम
एक स्त्री......
जो कर देती है सबकी ख्वाहिशे पूरी
जिसे मन न मिले फिर भी तन मिला देती है
जिससे तन ना मिले उससे मन मिला लेती है
उनके बगैर भी जी लेती हैं
जिनके बिना कभी एक पल भी न गुजरा हो
ख़ुश दिखती हैं फिर भी
कभी मजबूरी में कभी सबकी खुशी में
ये स्त्री ही है जो सब संभाल लेती है
प्रेम करना सहज नहीं है.. सबसे कठिन है
फिर भी वो कर लेतीं हैं
निरंतर प्रेम की खोज में रहतीं हैं
एक ऐसे पुरुष की जो सुन्दर हो या ना हो
पर उसे गहराई से प्रेम करने बाला हो
उसे समझने बाला हो
जिस पर वो अपने प्रेम की वर्षा कर सकें
एक स्त्री ही है जो सब सह लेतींहै