...

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doob rahi in.....
डूब रही इन कतरा कतरा साँसों को,
बांध रखा है जो तुमने मेरी धड़कन को...
तोड़ने दो न आखरी सारे बंधन को,
खतम करो न अब तुम मेरी तड़पन को...

तिल तिल मरती ज़िन्दगी के पैमाने क्या...
नहीं दे सकते हो मौत के चंद बहाने क्या...
क्या गुज़री क्या गुज़रेगी इस तन्हाई में...
क्या गर्त में छुपा है डूबने दो वो पाने को...

टुकड़े टुकड़े शून्य का भी बंटवारा हो...
पूरा हो वो भी न सबको प्यारा हो...
बंद करो ये वक्ती वक्ती आजमाइशों को...
भूलने दो अब फ़र्ज़, मर्ज़ और ज़माने को...

मंज़र, मंदिर सब तो आंखों ने देखे हैं...
नहीं बचा कुछ तो और दिखाने को...
पाया जो वो सबकुछ अब लौटाने दो...
मिलता नहीं जो साथ कुछ ले जाने को...

चलने दो अब राह जो इक अपनाई तो...
भूले बिसरे पाप की कुछ भरपाई हो...
कालिख़ सी वज़ूद में कुछ तो फैली है...
धुँधली हो कुछ तो ऐसा कर जाने दो...

भूलने को तो यार बहुत से मयखाने हैं...
जाने दो उस पार जहाँ पर राहत हो...
आज़ाद करके अब तुम मुझको जाने दो...
आसान कर दो राह मेरी तुम जाने को......
- cursedboon (ankit bhardwaj)
@cursedboon
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