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माँ ❤

तू मेरे मन की ज्ञाता है , बहुत बड़ी तू गाथा है माँ.
हर पल तू मुझ में जीती है, हर दर्द में खुश तू रहती है माँ॥
शब्दों में तुझे कैसे बयां मैं करूं ,जब भी कुछ कहना चाहूं तो सारे अल्फाज कम पड़ जाते है माँ,
कोई शब्द ऐसा नहीं जो तुझे बयां कर दे माँ ॥
इतनी निस्वार्थ तू कैसे हो सकती है माँ,
मेरा पेट भरकर तू खुद भूखा कैसे सो सकती है माँ॥
मेरी हर इच्छाओं का ख्याल रखती हो ,अपनी ख्वाहिशों को कभी तू भी बता दे ना माँ॥
मुझे हमेशा हंसाती हो कभी दिल से तू भी मुस्कुरा दे ना माँ॥
मेरे सपनों को पूरा करना चाहती हो कुछ ख्वाब तूने भी पिरोया होगा ना माँ॥
मेरी हर समस्या का हल यू ही निकाल लेती हो कभी अपनी भी परेशानी बता दे ना माँ॥
शब्दों में तुझे कैसे बयां मैं करूं जब भी कुछ कहना चाहूं तो सारे अल्फाज कम पर जाते हैं माँ ,कोई शब्द ऐसा नहीं जो तुझे बयां कर दे माँ॥



© Ritika kumari. #maa #poetrycommunity #Shayari #poetry #Love&love