लौट आ फिर महफिल में....
कहते हैं की, दुनियां से जाता है कोई, कुछ न लेकर,
ऐसे ही छोड़ गया मुर्शिद, महक मेरे आंगन में,,
लगता है चलता सा, सीढ़ियों से उतरता सा,
कद पांच फुट...
ऐसे ही छोड़ गया मुर्शिद, महक मेरे आंगन में,,
लगता है चलता सा, सीढ़ियों से उतरता सा,
कद पांच फुट...