...

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लौट आ फिर महफिल में....
कहते हैं की, दुनियां से जाता है कोई, कुछ न लेकर,
ऐसे ही छोड़ गया मुर्शिद, महक मेरे आंगन में,,

लगता है चलता सा, सीढ़ियों से उतरता सा,
कद पांच फुट सात इंच ,बस गया नयनों में,,

जलती हैं आंखे ये, रात दिन तेरे बिन,
राहत दे,बहकर, कुछ बाहर आ, आंसुओं में,,

सुनते हैं मेरे कान, बिलखते इन लम्हों को,
सुनता हो, तू भी गर, लौट आ फिर महफिल में,,
लौट आ फिर महफिल में....
© @mr.rupeshkumar

for my dearest uncle😥