मन्नत ठाणी है
ईन्सानियत आखिर धोखा खा हि ज्याती है
प्यार भी उधार मांगने कि नौबत आती है
ईन्सान ईन्सान को समझ तो सकता है
लेकिन कायनात बुरा मान ज्याती है
ईन्सान को किस बात कि चाह नही होती
बस्स सब से होकर शिकस्त हात आती है
हर किसी पानी अपनी मंझिल
लेकिन रास्ते मे वोह भी छुट ज्याती है
किसको नही चाहिए प्यार यहां
बस्स सबने अपनी अपनी मन्नत ठाणी है
प्यार भी उधार मांगने कि नौबत आती है
ईन्सान ईन्सान को समझ तो सकता है
लेकिन कायनात बुरा मान ज्याती है
ईन्सान को किस बात कि चाह नही होती
बस्स सब से होकर शिकस्त हात आती है
हर किसी पानी अपनी मंझिल
लेकिन रास्ते मे वोह भी छुट ज्याती है
किसको नही चाहिए प्यार यहां
बस्स सबने अपनी अपनी मन्नत ठाणी है