...

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2024 गुजर गया और 2025 आ गया।
जीवन का 1 साल और गुजर गया ।
कुछ खुशियाँ और कुछ गम दे गया।
कुछ गौर फ़रमाया अपने ज़हन पर,
और सोच के हिचकोलों के लहर में,
लगाता पाया कई डुबकियाँ,
अपने ही खुशियाँ और गमों को।
अब लगा मन सोचने,
आशाओं की छन्नी से,
कुछ खुशियों के मोतियों को छान ले।
सोचा इन मोतियों को,
बड़े ही जतन से संभाल ले।
ताकि आने वाले समय में,
इन खुशनुमा पलों को संभाल के,
बड़े ही जतन से,
अपने मस्तिष्क पटल पर,
इन्हें मोतियों की तरह पिरो के रख लिया जाए।
एक...