...

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चिलम यादों की सुलगती है।
बुझ जाए भले ही तेरे हुस्न का हुक्का मगर चिलम यादों की सुलगती रहे।
भले ठण्डा हो जाए ज़ालिम ज़माना मगर अलाव में चिंगारी जलती रहे।

इतिहास ग़वाह रहा है सदियों से हवाएँ मुहब्बत की लौ बुझाती रही हैं,
फ़ानूस बना है परवाना हर बार कि महफ़िल में श'मा यादों की जलती रहे।

थक...