...

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स्वीकार नही पाते ...
ख्वाब है लाखो मगर पूरे हो नही पाते,
मंजिल की भी है खबर पर ,
पैदल चल नहीं पाते।
निहारते है मंजिल को बैठ कर,
ढंग से रो नही पाते।
बहाना बनाते हैं,फूटी किस्मत का ,
मेहनत तक का बोझा ढो ,
नही पाते ।



_nkesh
© ankesh

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