...

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ना जाने कब तक खफा करे ये ज़िन्दगी
जाने कब तक खफा करे ये ज़िन्दगी।
जाने कब तक बफा करे ये ज़िन्दगी।

ले जाएगा सफ़र ये तनहा कहां।
कुछ तो मंजिल का पता करे ज़िन्दगी।

बेकरारी काम की वक़्त ये वजूद है।
किस मोड़ पे लेके खड़ा करे ये ज़िन्दगी।

हर मोड़ पे उलझन रूठी तकदीर।
कुछ तो गम जुदा करे ये ज़िन्दगी।


© navneet chaubey