...

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ज़मीन की गाथा
मैं चली,तुम चले ही नहीं,
रह गईं बातें अनसुनी अनकहीं।

खामोशियों का काफ़िला,
करे छिन्न भिन्न मजबूत घोंसला।

"रहगुजर" के हंसीं वायदे,
मगर बदले, वक्त ने सभी कायदे।

रहे...