“कपटी”
बोझिल है मन
और आँखें है नम
ग़म हैं अनगिनत
और अजब है लाचारी,
कौन सुनेगा हाल
हूँ मैं इस कद्र बेचारी,
दुख तो...
और आँखें है नम
ग़म हैं अनगिनत
और अजब है लाचारी,
कौन सुनेगा हाल
हूँ मैं इस कद्र बेचारी,
दुख तो...