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सच का परिंदा
झूठ की डाल पर नहीं बैठता मैं, सच का परिंदा हूँ,
जिन हालातों में लोग मर गए, मैं उन्हीं हालातों में ज़िंदा हूँ।
तूफानों से लड़कर जो राह बनाई मैंने,
वो कहानी नहीं, मेरा हौसला है, मेरा जज़्बा है।
अंधेरों में रोशनी की किरण ढूंढ लाया हूँ,
तुम्हारे झूठ की बुनियाद से, सच का महल बनाया हूँ।
झुका नहीं हूँ कभी, ना झुकने दूंगा सर को,
मुश्किलों के दरिया में, मैं खुद को डूबने ना दूंगा।
© नि:शब्द
जिन हालातों में लोग मर गए, मैं उन्हीं हालातों में ज़िंदा हूँ।
तूफानों से लड़कर जो राह बनाई मैंने,
वो कहानी नहीं, मेरा हौसला है, मेरा जज़्बा है।
अंधेरों में रोशनी की किरण ढूंढ लाया हूँ,
तुम्हारे झूठ की बुनियाद से, सच का महल बनाया हूँ।
झुका नहीं हूँ कभी, ना झुकने दूंगा सर को,
मुश्किलों के दरिया में, मैं खुद को डूबने ना दूंगा।
© नि:शब्द
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