व्यक्तिगत
जी जी कर
भी एक दिन आदमी थक ही
जाता हैं
सच तो ये भी हैं कि समय से पहले. मौत भी तो नहीं आती
और सबसे अहम बात ये भी हैं. कि
इस थकान क़ो किसी से साझा भी
नहीं किया सकता .
क्योकि ये थकान नितांत मेरी व्यक्तिगत हैं निजी हैं
भी एक दिन आदमी थक ही
जाता हैं
सच तो ये भी हैं कि समय से पहले. मौत भी तो नहीं आती
और सबसे अहम बात ये भी हैं. कि
इस थकान क़ो किसी से साझा भी
नहीं किया सकता .
क्योकि ये थकान नितांत मेरी व्यक्तिगत हैं निजी हैं
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