लेखनी का सफर!
बरसों से लेखनी के सफ़र में हूँ
हर पड़ाव, हर उतार-चढ़ाव
का आनंद उठाई
जाने कब कलम मेरी
हमदम बन गयी
जो हर पल मेरे जज़्बातों को
पंक्तियों का जामा पहनाने लगी!
हर पड़ाव, हर उतार-चढ़ाव
का आनंद उठाई
जाने कब कलम मेरी
हमदम बन गयी
जो हर पल मेरे जज़्बातों को
पंक्तियों का जामा पहनाने लगी!