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झूठी मोहब्बत का सफ़र।
मेरी दिल की नजरो ने देखा उसे,
ओर उसने कोई अमीर देखा हैं।
वो चले थे मेरी मोहब्बत को मारने,
पर मैंने तो उनका मरा ज़मीर देखा हैं।
वो मेरी चाहत को हवा समझ बैठे थे,
आज मैंने उसमें भटकता स़मीर देखा हैं।
वो सबूत दे रहे हैं आज वफा का अपनी,
जिनका हमने कल ही रक़ीब देखा हैं।
ओर उसने कोई अमीर देखा हैं।
वो चले थे मेरी मोहब्बत को मारने,
पर मैंने तो उनका मरा ज़मीर देखा हैं।
वो मेरी चाहत को हवा समझ बैठे थे,
आज मैंने उसमें भटकता स़मीर देखा हैं।
वो सबूत दे रहे हैं आज वफा का अपनी,
जिनका हमने कल ही रक़ीब देखा हैं।
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