खुद से इश्क़ है हो रहा
कमियां महसूस होती नहीं अब किसी की
लगता है खुद से इश्क़ होने लगा है
बढ़ रहीं हूं हर एक सीढ़ियों पर आगे
शायद मुझे कोई खोने लगा है
सताती नहीं अब तो नींदें भी रातों को
कहीं मेरा ही ख़्याल मुझमें सोने लगा है
था जिन ग़मों से बड़ा प्यार मुझे
वो अन्दर ही अन्दर कहीं रोने लगा है
खुशियां लगी हैं कदम रखने दिलों में
शायद अब हर ग़म सर पर मुस्कान ढोने लगा...
लगता है खुद से इश्क़ होने लगा है
बढ़ रहीं हूं हर एक सीढ़ियों पर आगे
शायद मुझे कोई खोने लगा है
सताती नहीं अब तो नींदें भी रातों को
कहीं मेरा ही ख़्याल मुझमें सोने लगा है
था जिन ग़मों से बड़ा प्यार मुझे
वो अन्दर ही अन्दर कहीं रोने लगा है
खुशियां लगी हैं कदम रखने दिलों में
शायद अब हर ग़म सर पर मुस्कान ढोने लगा...