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मेरी बर्बादी का जश्न... By-Sagar Raj Gupta.
मेरी बर्बादी का जश्न

इधर मेरी बर्बादी का जश्न मन रहा है और तुम वहाँ उदास बैठी हो,
सच बताना अकेली हो या फिर रकिब के साथ बैठी हो,
दिल में उतरना और दिल से उतरने में बस एक पल का फ़ासला होता है,
बेवफाओं की बस्ती में क्यों मेरे यादों और आंसूओ के साथ बैठी हो।
हँस तो रही हो मगर सच में की मेरे लिए दिखावा है,
बसंत की ख्वाहिश की और पतझड़ के साथ बैठी हो,
ये दिल और दिल्लगी दोनों खेलने की चीज है शायद तुम्हारे लिए,
तो आकाश में उड़ने वाली क्यों सागर के गहराई के आस में बैठी हो।
ये मोहब्बत तो बस दिखावा था कुछ पल के लिए दुनिया को,
फिर नफ़रत कों छोड़ क्यों सिसकियों के झरोखों में बैठी हो,
तुम्हारा तो पता नहीं हमने तो कब का अपनी जिंदगी छोड़ दिया,
और तुम क्यों हमारी परवाह करने बैठी हो।
इधर मेरी बर्बादी का जश्न मन रहा है और तुम वहाँ उदास बैठी हो।।

© Sagar Raj Gupta

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लफ्ज़ो के बादशाह :-सागर राज गुप्ता.
Happy with my own rule at The Sagar's World, Bettiah.
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