तुम्हें भी लगता है, और हम भी सही हैं...
तुम्हें भी लगता है, और हम भी सही हैं
तो फिर क्यों ? दरक रही जिन्दगी है
तुमने जोड़ा कतरा-कतरा, हमने लम्हा-लम्हा
तो फिर क्यों ? सरक रही जिन्दगी है
तुम गंगा सी पतिता, हमें भी न डराता आईना
तो फिर क्यों ? भटक रही जिन्दगी है
हमें सहेजना है कल, और तुम्हें समेटना है
तो फिर क्यों ? चटक रही जिन्दगी है
न तुम्हें, हमसे शिकवा, न हमें, तुमसे गिला है
तो फिर क्यों ? नरक बनी जिन्दगी है
* विपिन कुमार सोनी ©
25/26.12.2023
© विपिन कुमार सोनी
#vipinkumarsoni #everyone #Love&love #heartbroken #alllahabadi
तो फिर क्यों ? दरक रही जिन्दगी है
तुमने जोड़ा कतरा-कतरा, हमने लम्हा-लम्हा
तो फिर क्यों ? सरक रही जिन्दगी है
तुम गंगा सी पतिता, हमें भी न डराता आईना
तो फिर क्यों ? भटक रही जिन्दगी है
हमें सहेजना है कल, और तुम्हें समेटना है
तो फिर क्यों ? चटक रही जिन्दगी है
न तुम्हें, हमसे शिकवा, न हमें, तुमसे गिला है
तो फिर क्यों ? नरक बनी जिन्दगी है
* विपिन कुमार सोनी ©
25/26.12.2023
© विपिन कुमार सोनी
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