किस में था !
किस की चाह थी मुझे मैं किस के असर में था
मैं जब से चल दिया घर से फ़क़त सफ़र में था
हर दफ़ा ख़्वाब टूटे ख़्वाब देखना पर न छोड़ा
यही थी मेरी क़िस्मत तो क्या फिर मफ़र में था
नादाँ सी कुछ उम्मीदें मेरे...
मैं जब से चल दिया घर से फ़क़त सफ़र में था
हर दफ़ा ख़्वाब टूटे ख़्वाब देखना पर न छोड़ा
यही थी मेरी क़िस्मत तो क्या फिर मफ़र में था
नादाँ सी कुछ उम्मीदें मेरे...