...

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तकलीफ
तकलीफें बहुत सी रही है जिंदगी में
कुछ को हंस कर काट लेते हैं
और कुछ को संघर्ष में
तुमको जाने देना भी बहुत तकलीफदेह था
मगर तकलीफों को सहन करना पड़ता है
उस दिन भी यही किया था

काश! तुम देख पाती, समझ पाती
कि अपने ही हाथों से
अपनी क़ीमती चीज को तोड़ देना
कितना दुःखद होता है
ये ठीक उसी तरह था
जैसे आसमान में इकलौती पतंग
आपकी उड़ रही हो और आप
उसकी डोर अपने ही हाथों से तोड़ दें
हवा मे बह जाने के लिए
© शिवप्रसाद