6 views
Shayad....
मेरे दिल में जो उफनता हुआ सा तूफान है,
वो हाथ रख दे तो थम जाए शायद।
फुरसत में तो हर वक्त सोचता रहता हूं उसे,
मसरूफ हो जाऊं तो याद कम आए शायद।
वो मेरी नही हो सकती ये दिमाग तो जानता है,
बस मन को समझा लूं तो मन का वहम जाए शायद।
वो कठपुतली की तरह मुझे कभी खींचती कभी छोड़ देती है,
खुदा के लिए उसे भी हम पर कभी रहम आए शायद!
© The heart bones
वो हाथ रख दे तो थम जाए शायद।
फुरसत में तो हर वक्त सोचता रहता हूं उसे,
मसरूफ हो जाऊं तो याद कम आए शायद।
वो मेरी नही हो सकती ये दिमाग तो जानता है,
बस मन को समझा लूं तो मन का वहम जाए शायद।
वो कठपुतली की तरह मुझे कभी खींचती कभी छोड़ देती है,
खुदा के लिए उसे भी हम पर कभी रहम आए शायद!
© The heart bones
Related Stories
10 Likes
0
Comments
10 Likes
0
Comments