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Ishq 1
इश्क़दारी नहीं कर्जदारी चल रही है हमारी।
उस कातिल के यहां जिंदगी ढल रही है हमारी।।
उम्र पीछे पीछे हम आगे आगे चलते है।
हम एक ख्वाइश के पीछे भागे भागे फिरते है।।
वो गहरी सी निगाहों मे हम समेटते गए ।
वो हमे तोड़ते गए हम भी बेसब्री से टूट ते गए।।
ना वो साख टूटे ना बारिश कम हुआ।
वो पेड़ फिर भी सूख गया, जिसे कोई गम ना हुआ।।
© Chandan Singh
उस कातिल के यहां जिंदगी ढल रही है हमारी।।
उम्र पीछे पीछे हम आगे आगे चलते है।
हम एक ख्वाइश के पीछे भागे भागे फिरते है।।
वो गहरी सी निगाहों मे हम समेटते गए ।
वो हमे तोड़ते गए हम भी बेसब्री से टूट ते गए।।
ना वो साख टूटे ना बारिश कम हुआ।
वो पेड़ फिर भी सूख गया, जिसे कोई गम ना हुआ।।
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