मोहब्बत
ये मोहब्बत है जनाब,,
साइंस का प्रैक्टिकल नहीं,,
जहां लॉजिक ढूंढते फिर रहे हों,,
मोहब्बत में लॉजिक नहीं होता,,
खुद ही सोचो,,
क्यू,,,,किसी के खयालों से धड़कने घटने–बढ़ने...
साइंस का प्रैक्टिकल नहीं,,
जहां लॉजिक ढूंढते फिर रहे हों,,
मोहब्बत में लॉजिक नहीं होता,,
खुद ही सोचो,,
क्यू,,,,किसी के खयालों से धड़कने घटने–बढ़ने...